सामाजिक

डाकिया डाक लाया, आपकी चिट्ठी आई है

डाकिये के महत्व और पुराने जमाने की चिट्ठियों की यादें आज भी हमारे जहां में ताज़ा हैं। यह उन दिनों की याद दिलाती है जब डाकिया के आने से लोगों के चेहरे खिल जाते थे।
कविता की कुछ पंक्तियाँ विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं, ऐसा भी नहीं की आज कल डाकिया बाबू नहीं हैं, लेकिन उस ज़माने में डाकिया डाक लाया का महत्व कुछ और ही था

  • “डाकिया डाक लाया, आपकी चिट्ठी आई है, ये आवाज खो गई।”
  • “दूर देशों से आती चिट्ठियां, मनी ऑर्डर, प्यार मुहब्बत के खत।”
  • “इंतजार में रहते लोग, डाकिया के आते ही खिल उठते चेहरे।”
  • “कितना परवर्तन हुआ है, लेकिन आज भी वो पल हमें सुकून देता है।” सारे दुख सुख उसकी एक ही खोली में हुआ करते थे।
    इन पंक्तियों में डाकिये के महत्व और पुराने जमाने की चिट्ठियों की यादें ताज़ा हो गईं। यह भी सत्य है कि आजकल के फेसबुक और वाट्सअप से हमें वह संतुष्टि नहीं मिलती जो डाकिया से मिलने वाली चिठ्ठीयों से मिला करती थी। डाकिया चाचा की याद आ गई,पुराने जमाने की यादें ताज़ा कर दीं और यह महसूस कराया कि कैसे तकनीक ने हमारे जीवन को बदल दिया है। फिर भी डाक विभाग का महत्व आज भी बरकरार है। डाकिया का महत्व अनमोल है और रहेगा। डाकिया ने हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उनकी सेवाएं हमेशा याद रखी जाएंगी।
    डाकिया का काम सिर्फ चिट्ठियां और पैकेट पहुंचाना नहीं है, बल्कि वे दिलों को जोड़ने, प्यार और मुहब्बत को पहुंचाने, और लोगों को जोड़ने का काम करते थे, और आज भी करते हैं।
    आज के डिजिटल युग में, जब संचार के तरीके बदल गए हैं, डाकिया की महत्ता आज भी चमकदार है। वे हमारे समाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं और उनकी सेवाएं हमेशा आवश्यक रहेंगी।
    डाकिया के सम्मान में यह कविता कही जा सकती है:
    “डाकिया का महत्व अनमोल है,
    दिलों को जोड़ने वाला है।
    चिट्ठियां पहुंचाने वाला है,
    प्यार और मुहब्बत को पहुंचाने वाला है।
    उनकी सेवाएं हमेशा याद रखी जाएंगी,
    उनका योगदान हमेशा सम्मानित होगा।
    डाकिया का महत्व अनमोल है,
    और रहेगा।”
    उनकी सेवाएं हमेशा याद रखी जाएंगी और उनका योगदान हमेशा सम्मानित होगा। डाकिया की महत्ता को समझने के लिए हमें उनके काम की गहराई को देखना होगा।
    उनके काम में न केवल शारीरिक श्रम शामिल है, बल्कि वे लोगों की भावनाओं को भी समझते हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। वे हमारे समाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं और उनकी सेवाएं हमेशा आवश्यक रहेंगी।
    डाकिया के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए हमें उनके योगदान को याद रखना चाहिए और उनकी सेवाओं की सराहना करनी चाहिए।
    दक दिवस पर यह संदेश देना उचित होगा कि,
    “डाकिया की महत्ता आज भी वही है,
    चिट्ठियों के माध्यम से दिलों को जोड़ने वाला है।
    आज के डिजिटल युग में भी,
    डाकिया की भूमिका अनमोल है।
    वह न केवल चिट्ठियां पहुंचाता है,
    बल्कि प्यार, मुहब्बत और स्नेह को भी पहुंचाता है।
    डाकिया को सलाम,
    जो दिलों को जोड़ने में विश्वास रखता है।
    डाक दिवस पर,
    आइए हम डाकिया के योगदान को सलाम करें।”
    या फिर यह संदेश:
    “डाकिया की चिट्ठी में,
    प्यार और मुहब्बत की खुशबू है।
    डाकिया की आवाज में,
    दिलों को जोड़ने की धुन है।
    आज के डिजिटल युग में भी,
    डाकिया की महत्ता अनमोल है।
    डाकिया को धन्यवाद,
    इन संदेशों के माध्यम से हम डाकिया के योगदान को सलाम कर सकते हैं और उनकी महत्ता को समझ सकते हैं।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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