कविता

बसंत आ गई

ठंड गई, बसंत आ गई,
पीले सरसों, बहार छा गई!

देवर कहता, भौजाई से,
भाभी आओ, फागुन आया!
कैसे आऊं, भाभी कहती,
रंग बसंती, कैसे लगाऊं!

देवर कहता, ओ मेरी भाभी,
तू तो है, मेरी माई जैसी!
अबकी भैया, से कह दूंगा,
फागुन में तुम्हें, आना ही होगा,
राह तके है, मेरी भाभी माई,
हद हो गई, बहुत हो गई कमाई!

गांव, पड़ोसी, ताना देते हैं,
तेरे बिना घर – द्वार, नहीं भाते हैं!
भाभी दिन भर, उदास रहती हैं,
रंग बसंती में, आंसू गिरते हैं!

चना पकेगा, आम बौराने हैं,
भंवरा भी बौराने हैं, नई कोंपलें आई हैं,
भैया तुम नहीं, आए हो,
विरहिन बन गई, मेरी भाभी है!
नहीं कमाई, हमें चाहिए,
भाभी की मुस्कान, भैया तुम ला दो!
फाग गीत में, रस भर जाएगा,
भाभी तन – मन, खिल जाएगा!

घर में सचमुच, बसंत आएगा,
भाभी का रंग, मुझे लगेगा!
तन मन मेरा, खिल जाएगा,
भाभी का सिंदूर, चमकेगा!
घर में खुशियां, लौट आएंगी,
भाभी गुझिया, मुझे खिलाएंगी!

होली का त्योहार, भैया के संग आएगा,
घर में खुशियां लाएगा,
भाभी का मन रंग जाएगा!!

— डॉ. सतीश “बब्बा”

सतीश बब्बा

पूरा नाम - सतीश चन्द्र मिश्र माता - स्व. श्रीमती मुन्नी देवी मिश्रा पिता - स्व0 श्री जागेश्वर प्रसाद मिश्र जन्मतिथि - 08 - 07 - 1962 शिक्षा - बी. ए. ( शास्त्री ) पत्रकारिता में डिप्लोमा, कहानी लेखन एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा। संप्रति - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, संकलन में 1985 से लगातार प्रकाशित, तिब्बती पत्रिकाओं में प्रकाशित और भारत तिब्बत मैत्री संघ का सदस्य, संरक्षक भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महा संघ उ प्र। साहित्य केशरी आदि लगभग 1500 से अधिक साहित्य सम्मानों से सम्मानित प्रकाशित :- कविता संग्रह "साँझ की संझबाती" मोबाइल ऐप्स में प्रकाशित लघुकथा / कहानी संकलन "ठण्ड की तपन" और कहानी संकलन "सुदामा कलयुग का" प्रकाशित, अमाजोन आदि पर उपलब्ध! पता - ग्राम + पोस्टाफिस = कोबरा, जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश, पिनकोड - 210208. मोबाइल - 9451048508, 9369255051. ई मेल - [email protected]

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