बसंत बहार
पलाश की तलाश में
लाल रंगो की रंगत में,
उपवनों में
एक कहानी लिखी जा रही है,
एक जिंदगानी खुशियों की
गीत गा रही हैं,
जीवन के समर बेला में
लाल रंगो के मेंला में
सिंदूर से पांव तलक
बिखरे जीवन के उमंगों में
चेहरे के लाल रंगो में,
बसंत बहार मौसम में
कोयल गीत गुनगुना रही हैं।
— अभिषेक कुमार शर्मा