लघुकथा

रोटी दिवस

सर्दी की गुनगुनी धूप में सभी कर्मचारी लंच के बाद धूप का लुफ्त ले रहे थे। ओर बात चीत का टॉपिक बस वेलेंटाइन डे ही था। जनवरी के बाद सबका ध्यान प्रणय दिवस के मानने में ही रहता है। क्या युवा या अधेड़ क्या किशोर सब के सब बस प्रेमिका या बीबी को इंप्रेस करने की अचूक योजना बना रहे थे। अमित खन्ना ने भी सोचा की इस मौके पर वह अपनी नई नवेली गर्ल फ्रेंड रोमा फर्नांडिस को शादी के लिए मना ही लेगा उसे इस काम के लिए सात दिवसीय प्रेम पर्व काफी अनुकूल लगा।
साथ ही अमित ये भी सोच रहा था कि अगर रोमा फर्नांडिस शादी के लिए तुरंत राजी ना भी हुई तो ये हग डे, किस डे आदि तो मनाया ही जा सकता है।बस वह मन ही मन तरीकबे बनाने लगा।
इतने में रोमा फर्नाडीज ने उसके कमरे में प्रवेश किया। साथ में छुट्टी का आवेदन पत्र भी था। उसने बड़ी अदा से कहा सर मुझे एक हफ्ते की छुट्टी चाहिए। अमित ने दरियादिली दिखाते हुए कहा “हां हां क्यों नहीं” । “आप को छुट्टी मिल जाएगी बोलिए कब जाना है छुट्टी पर”। रोमा ने कहा सर मुझे 7 से 14 तारीख तक की छुट्टी चाहिए।
अमित ने बड़े व्यंग से कहा अच्छा वेलेंटाइन डे सेलिब्रेशन के लिए एक हफ्ते की छुट्टी चाहिए आप को। अरे एक घंटे लेट आ सकती है पूरा हफ्ता क्या करेगी।अब रोमा को ना चाहते हुए भी बताना पड़ा की वह ये एक हफ्ता गोवा के एक अनाथालय में बिताती हैं। और वहा के अनाथ बच्चों के बीच प्यार और उपहार बाटती है। अमित ने बुझे मन से उसे छुट्टी सैंक्शन तो कर दी किन्तु उसका मूड खराब हो गया था। उसे लगा रोमा शायद चैलिटी का शो ऑफ कर रही है। वरना अनाथालय में कौन अपना 7 दिन बिताता है। अब बारी रोमा की थी उसने ना चाहते हुए भी अमित को बताया की वो खुद भी गोवा के उसी अनाथालय में ही पली बढ़ी है। इस लिए उसके स्नेह और समय पर उस अनाथालय के बच्चों का ही हक है। अमित हा हूं करता रहा बस।
अब रोमा के जाने के बाद वह अनमनस्क सा हो गया था। तो उसने सोचा शाम को किसी अच्छे होटल में कुछ खाते पीते हैं। थोड़ा मूड फ्रेश करते हैं। अब उसकी गाड़ी एक बहुत नामी गिरामी होटल के सामने रुकी। उसने सोचा आज यहीं खाना खाया जाए। जैसे ही वह अंदर जाने लगा एक नन्हे हाथ उसके पैर से जा लगे। उसने पलट कर देखा एक छोटी सी लड़की थी। जो उसको बोल रही थी अंकल आप यहां खाना मत खाओ प्लीज। अमित सोच में पड़ गया और पूछा क्यों नहीं खाना खाऊं यहां। इस पर लड़की ने बड़ी मासूमियत से कहा की रात में जब सब लोग चले जाते हैं तो जो भी खाना बचता है वो हमे मिलता है। लेकिन कल रात भी खाना कुछ नहीं बचा था आज भी इतनी भीड़ है तो मुझे लगता है की कहीं खाना खत्म ना हो जाए। हमने कल से कुछ नही खाया है। अमित उसे देख कर एकदम भावुक हो गया। उसने बच्चे के लिए खाना पार्सल लिया और उसे दे दिया। सोचने लगा रोमा की बात सही है असली प्रेम दिवस तो इनके साथ ही मनाना चाहिए।
काश इस देश में एक रोटी दिवस भी होता जब कोई पेट भूखा नही सोता। अब उसने रोमा को काल लगाया और उसके साथ खुद भी गोवा जाने की सोचने लगा।
— प्रज्ञा पांडेय मनु

प्रज्ञा पांडे

वापी़, गुजरात

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