संगति का असर
वक्त, काल, परिस्थिति और
संगति का असर होता है बच्चों में,
आसपास के देखे नजारों का असर
भरता है मन के कच्चों में,
सद आचरण वाले का साथी
अच्छा आचरण और व्यवहार सीखता है,
हर कार्य में उसे अच्छा ही दिखता है,
बुरे व्यक्ति का साथी
सिर्फ बुरा करने के बारे में सोचता है,
उनके किये कुकर्मों को सुन
पिता ताउम्र अपना सिर नोचता है,
मैंने देखा है कि बुरे व्यवहार का आदमी
अच्छों के सदसंगत में रह
निकल पड़ा था परिवर्तन लाने,
गांव गांव गली गली फिरता था
गीली लकड़ी में आग सुलगाने,
इस आपाधापी के समय में भी
मां बाप चाहते हैं औलादें में
न रह जाये कोई कसर,
सिर्फ अच्छे संस्कार ही नहीं
भले संगत का होता है अच्छा असर।
— राजेन्द्र लाहिरी