हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – नर्क की लड़ाई

यमराज के सामने मुझ गरीब लेखक की गरीब आत्मा को पेश किया गया, यमराज के सामने सभी सीट पहले से भरी पड़ी हुई थी, देश की तमाम नेता, बुद्धिजीवी और मीडिया जगत पहले पायदान में बैठकर अपने सजा का इंतजार कर रहे थे।
वहां नर्क प्रहरी बिना किसी भेदभाव के सभी को कोड़े से पीट रहे थे, यमराज लाल सुर्ख आंखे मेरी तरफ फेरते हुये बोले ” गज्जू ये कौन है, इसका हिसाब किताब बताओ, मैं बहुत खुश था चलो कम से कम इधर अपना नंबर जल्दी आ गया वर्ना धरती पर राशन के लाइन में नंबर आते राशन खत्म हो जाता, बैंक में इस काउंटर से उस काउंटर पर दौड़ते शटर डाउन हो जाता, फिर कान खुजाते बाबू बोलते “बैंक की किसे फिक्र कल आना।
वैसे अपने कलम से ईश्वर की भजन लिखा और कुछ नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। ये सब पाप की श्रेणी में कैसे होगा हां गलती से किसी का बीड़ी गुटखा खा कर गुणगान कर दिया होगा, वो कोई पाप थोड़ी होगी।
यदि दो चार कोड़े मिल गये वो बर्दाश्त कर लेगे, मगर इन पहली पंक्ति में बैठे लोगों की सजा क्या होगी वो देखने का अलग मजा होगा, मन में सोच रहा था कि तभी गज्जू शायद उनका वफादार होगा जो उनके मुंह लगा नौकर होगा, वो मेरी तरफ इशारा करते बोला “प्रभु ये लेखक बहुत शातिर व्यक्ति हैं, जो इधर कुर्सी पर बैठे इनको धरती पर अपने कलम से बहुत परेशान किया हैं।
अपने कई कहानी में आप पर भी अंगुली कर चुका भगवन् सभी नेता, बुद्धिजीवी और मीडिया वाले जोर से चिल्लाकर बोले” दुहाई हो प्रभु ये सत्य निष्ठावाला लेखक पृथ्वी पर लक्ष्मी देवी का भी अपमान करता फिरता रहा, हम लोग इसे घूस के रूप में लक्ष्मी देना चाहते ये लक्ष्मी को ठुकरा दिया करता था।
यमराज गुस्से में तड़क उठे “मां लक्ष्मी का अपमान महापाप, घोरपाप इसको कड़ी सजा मिलनी चाहिये, तभी नेताजी बोले” प्रभु ये हम लोगों का विवेक अपने कलम के माध्यम से इस कदर हरण कर लिया हमसे भय से पाप होने लगा, फिर यमराज अपने सेवकों को आदेश दिया यमलोक में जितने भी नरक की सजा हो सभी इस दुष्ट पर प्रयोग किया जाना चाहिये।
और इन सभी नेताओं,पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को सम्मान के साथ स्वर्गलोक ले जाओ, यमदूत मुझ गरीब लेखक को पकड़ कर ले जाने लगे तो नेताजी मेरे करीब आये और मुस्कुरा कर बोले” मैंने पहले ही बोला था कि हमारे साथ मिलकर रहोगे, हर जगह खुश रहोगे।
अभी देख लो हमने यमराज की नौकर गज्जू को मायानगरी मुंबई के पास बड़ा प्लाट दिखाकर तुम्हें उल्टा पापी बना दिया, नींद टूट गई, सबेरे के 7 बज रहे थे, नल का पानी जा चुका था।

— अभिषेक कुमार शर्मा

अभिषेक कुमार शर्मा

कवि अभिषेक कुमार शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]