कविता
सभी के चेहरों पे खुशियों की बहार आई
मौसम ने भी ली अंगराई
शीत ऋतु की हुई विदाई
बसंत ऋतु की आहट आई
देखो- देखो होली आई।
सूरज की किरणों में हल्की उष्णता आई
गृहणियों ने रंग बिरंगे पकवानों की योजना बनाई
होली ने भक्त प्रहलाद की याद करवाई
सभी ने कचड़े और अवगुणों की होली जलाई
रंगों और गुलालों से खुशनुमा शमा बंध आई
देखो- देखो होली आई।
आपस की अनबन की हुई सफाई
प्रेम की जड़ें ने ली अंगराई
सभी के चेहरे खुशियों से भर आई
देखो- देखो होली आई।
— मृदुल शरण