ग़ज़ल
दिल में मचा दे हलचल उस गम को भूल जाओ
हम तुमको भूल जाएं तुम हमको भूल जाओ
सब का सफर है अपना सब की डगर है अपनी
दिल का दिया जला के अब तम को भूल जाओ
मेरा सफर तो कम है लगता बहुत तुम्हारा
जल्दी निगाह फेरो और कम को भूल जाओ
सपने जवान रखना यह काम आएंगे सब
जो चश्मे नम रुलाए उस नम को भूल जाओ
किस्मत से हम मिले थे तय था हमें बिछड़ना
हम भूल गए तुमको तुम हमको भूल जाओ
आसान है समझना कैसे हैं ज़ीना जीवन
तल्खी को याद कर लो मौसम को भूल जाओ
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव