कविता

याद रखना ये हालात

जिस जहर को फैलाने में
मदद कर रहे हो दुश्मन को,
एक दिन निश्चित रूप से
पहुंच जाएगी तुम्हारे ही बच्चों तक,
तब तुम्हें कोई रहनुमा नजर नहीं आएगा
आसमां से लेकर समझ कच्चोँ तक,
रोओगे गिड़गिड़ाओगे,
सर पटक चिल्लाओगे,
तब कोई नहीं आएगा नजर अगल-बगल,
क्योंकि तुमने दिल में
दर्द महसूस करने लायक किसी को
छोड़ा ही नहीं होगा,
जो महसूस कर सके तुम्हारा दर्द,
समझ सके मर्ज,
और जो पाट दे
तुम्हारे डूबने के लिए बनाया गया गर्त,
शेर को सवा शेर,
होशियार को डेढ़ होशियार मिल जाता है,
दरिंदों का साथ दे
तुम्हारे हृदय में फूल कहां खिलेगा,
जिस दर्द,विरह को औरों ने झेला है
वापस जरूर तुम्हें मिलेगा,
मुगालते में मत रहना कि
यहीं दौर फिर से नहीं आएगा,
जो तुम्हें और तुम्हारे मंसूबे
जमींदोज कर जाएगा,
उस दिन पता चलेगा तुम कितने हो चालाक,
जरूर याद रखना ये हालात।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554