कविता

कविता – कुरसी का खेल

कुरसी का खेल जग में है निराला
बैठा इन्सान का होता   बोलबाला
पक्ष विपक्ष का है मंजिल  का काम
प्रजातंत्र में कुरसी का बड़ा ही नाम

जनता की सेवा हेतु नेला वो बन जाता
सत्ता पाते ही जन समस्था भूल जाता
वादा खिलाफी का होता है बड़ा काम
प्रजातंत्र में क्रुरसी का बड़ा  ही   नाम

चुनाव जीतने का हर हथकंडा अपनाता
पैसा शराब पानी की तरह    बहा जाता
बाद में नेता हो जाता है जग में बदनाम
प्रजातंत्र मै कुरसी का बड़ा ही     नाम

मतदाता चुनाव में कर देता जो गलली
पाँच वर्ष की सजा उन्हें भी है मिलती
जीत  के बाद नेता हो जाता   गुमनाम
प्रजातंत्र में कुरसी का बड़ा ही     नाम

आओ हम सब मिल ये कसमें आज खायें
भ्रष्ट नेताओं को अब सबक       सिखायें
चुनाव में इनको सब मिल करें     बदनाम
प्रजातंत्र में कुरसी का बड़ा ही        नाम

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088

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