कविता

होली

लिए रंगों की झोली।
आई होली।
बाजे ढोल नगाड़ें
नाचे मस्तों की टोली।
आई होली।
अंबर में उड़े
अबीर गुलाल रोली।
आई होली।
रंग-बिरंगे हंसते चेहरे
झूमें गाये हमजोली।
आई होली।
अमराई में
कोयल बोली।
आई होली।
महुए की मस्त सुंगध ने
मस्ती घोली।
आई होली।
कन्हैया की बंशी ने
मधुरस घोली।
आई होली।
राधा ने भी घूंघट खोली।
आई होली।
करती सखियां
हँसी ठिठोली।
आई होली।
— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]

Leave a Reply