रणनीति
चुनाव में खड़े थे प्रत्याशी चार,
जीतना है सबको नहीं चाहिए हार,
चूंकि प्रतिद्वंद्वी थे तो
मिलकर नहीं किये विचार,
करना था एक दूजे पर प्रहार,
पहले ने समर्थक वोटरों को गिना,
कम पड़ रहे थे समर्थक
तो कैसे जाएगा जीत छीना,
योजना के तहत जाल बिछाया गया,
फ्रेम में पांचवा प्रत्याशी लाया गया,
जिसने द्वितीय उम्मीदवार के समर्थकों में
अच्छा खासा पैसा बांट डाला,
उनकी हिम्मत को काट डाला,
दूसरे को पता नहीं कि
रणनीति के तहत फोड़ा गया है बम,
उसके सारे मतदाता खा पी
नाच रहे झमाझम,
पहले का अपना वोटर बच गया,
दूसरे का वोटर पांचवे द्वारा कट गया,
रणनीतियां ही करती है काम
ईमानदार हो चाहे मूर्ख,
हमेशा सफल रहते हैं चालबाज धूर्त।
— राजेन्द्र लाहिरी