साधु की संगति है सुखदायी
साधु की संगति है सुखदायी,
करती शुभ और संकट हरती,
साधु का ज्ञान देखो, वेष मत देखो,
साधु की संगति शुभ भाव भरती।
रीछ बने जामवंत, बंदर थे हनुमान,
दोनों राम-भक्ति में लीन थे रहते,
जग-कल्याण के हेतु वे दोनों,
साधु के कष्ट नहीं थे सहते!
दुष्टों का संहार किया राम-संग,
मन में कभी न घमंड किया,
रंग गए दोनों प्रभु राम-रंग,
जग ने उन्हें सम्मान दिया।
— लीला तिवानी