कविता

साधु की संगति है सुखदायी

साधु की संगति है सुखदायी,
करती शुभ और संकट हरती,
साधु का ज्ञान देखो, वेष मत देखो,
साधु की संगति शुभ भाव भरती।

रीछ बने जामवंत, बंदर थे हनुमान,
दोनों राम-भक्ति में लीन थे रहते,
जग-कल्याण के हेतु वे दोनों,
साधु के कष्ट नहीं थे सहते!

दुष्टों का संहार किया राम-संग,
मन में कभी न घमंड किया,
रंग गए दोनों प्रभु राम-रंग,
जग ने उन्हें सम्मान दिया।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

Leave a Reply