नारी
दिल पर कहां होता है किसी का पहरा,
कौन रोके सके उडते बादल आवारा?
मन की पांखें जो भरने लगी ऊंची उड़ान,
छू लेती नभ को, पा लेती अपना आसमान।।
दिल पर कहां होता है किसी का पहरा,
कौन रोके सके उडते बादल आवारा?
मन की पांखें जो भरने लगी ऊंची उड़ान,
छू लेती नभ को, पा लेती अपना आसमान।।