मौन…एक स्वीकृति
मौन कभी प्रेम की स्वीकृति होता है,
मौन कभी प्रखर विरोध भी होता है।।
शब्द मुखर न हो, मौन सबकुछ कहता है,
दर्द आंखों से बहता, कभी सिसकता है।।
मौन हर बार स्वीकृति या विरोध नहीं होता,
नही होता हर बार बिगुल बगावत का।।
मौन है प्रस्तुति, स्वीकृति का अनोखा अंदाज,
मौन अंतर्मन निनाद, प्रेम हुंकार होता हैं।।
मौन की अपनी भाषा, मौन का अपना संदेश।
मौन जो पढ़ पाये, मनमीत वही होता है।।