हिसाब किताब बराबर हो गया
पहला दृश्य :
क्रूर सिंह फौज में ड्राइवर था । एक दिन रात को खाना खाकर वापस आ रहा था। आज उसने पैग लगा रखा था। जैसे ही वह अपनी बैरक की ओर आया ,पिल्लों के साथ बैठी कुतिया खतरा भांपकर अपने पिल्लों की रखवाली के लिए उस पर टूट पड़ी। कुतिया के भौंकने से बैरक के दूसरे साथी भी जाग गए। उसे गुस्सा आ गया । वह गैराज में गया और पेट्रोल की कैनी ले आया और उसने पिल्लों पर पेट्रोल फैंक कर आग लगा दी। छोटे-छोटे पिल्ले जिंदा जल गए । उनकी दर्दनाक चूं चूं से सारा वातावरण गमगीन हो गया । बैरक के बाकी साथियों ने उसकी इस क्रूरता के लिए थू -थू किया ।
दूसरा दृश्य :
यही क्रूर सिंह ड्राइवर एक दिन साहब को छोड़कर वापस अपने स्टेशन आ रहा था। रास्ते में अचानक गाड़ी में आग लग गई । उसे इतना समय नहीं मिला कि वह बाहर निकल सके। वह भी गाड़ी में उन पिल्लों की तरह जिंदा जल गया। पहले दृश्य के चश्मदीदों ने कहा-” हिसाब- किताब बराबर हो गया”।
— अशोक दर्द