मंजिल मेरी दूर नहीं….
मुक्त हूं मैं रूढ़िवादी सोच से,
उन्मुक्त नहीं।
स्वतंत्र हूं अवांछनीय बंधनों से,
स्वच्छंद नहीं।।
संस्कारी मन, सुशील वर्तन,
हौसला बुलंद है मेरा।
ज्ञान, शिक्षा, कौशल संबल हैं,
पांखों में जोश भरा।।
संकीर्ण विचारधारा नामंजुर मुझे,
चाहूं मैं नवोदय।
व्यक्तित्व निखारूं अपने बलबूते पर,
चाहूं मैं सर्वोदय।।
लूं ऊंची उड़ान, छूं लूं नीलाभ गगन,
अब मुझे रुकना नहीं,
राहों में बिछे हो कंकड़, हो शूल चुभन,
मंजिल मेरी दूर नहीं।।