धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अंतिम पड़ाव के मुसाफिर

आज का भटका हुआ मानव यही सोंच रहा है कि कलयुग में फिर कोई अवतार होगा वही दुनियां के सभी जीव जन्तु की रक्षा करेगा, सभी मानव को सद्बुद्धि प्रदान करेगा! आज का अज्ञानी मानव यह नही जान रहा है कि! चाहे जो युग रहा हो किसी भी युग में भगवान ने स्वयं कुछ नही किया बल्किी दूसरों से ही सब कुछ करवाया है। अपनी आँख खोलो और देखो कि द्वापर में श्रीकृष्ण अवतार हुआ क्या भगवान् श्रीकृष्ण ने पृथ्वी से दुष्ट आत्मों का नाश करने के लिये स्वयं युद्ध किया ? त्रेतायुग में श्रीराम चन्द्र जी ने अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के घर में जन्म लिया क्या उन्होने अकेले रावण की लंका पर विजय प्राप्त की ? अरे मूढमति भगवान् दुष्टो का संहार करने लिये जन्म नही लेते हैं वह तो अपने भक्तों की रक्षा करने के लिये जन्म लेते हैं, कभी श्रीकृष्ण बनकर कभी श्रीराम बनकर, वह स्वयं नही लड़ते हैं वह लड़ने का साहस प्रदान करते हैं, लड़ना पृथ्वी के लोगों को ही पड़ता है। जैसे द्वापर में श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन किया और श्रीमद् भगवतगीता के द्वितीय अध्याय के सैंतीसवें श्लोक के अनुसार अर्जुन से कहा- हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः। यदि तुम इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हे स्वर्ग की प्राप्ति होगी यदि तुम विजयी होते हो तो तुम्हे धरती का सुख प्राप्त होगा इसलिये हे कौन्तेय उठो और निश्चय करके युद्ध करो, इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना समर्थन देकर स्वयं अर्जुन के सारथी बने और अर्जुन के कुटुम्बजनों का नाश अर्जुन के हाथों से करवाया और धरती को पाप के बोझ से मुक्त कराया।

त्रेतायुग में जब धरती पर अधर्म फैला चुका था चारो दिशाओं में रावण का अत्याचार और अन्याय का साम्राज्य स्थापित हो चुका था, राक्षसी प्रवृति पूरी तरह से हावी हो चुकी थी, सनातनियों की व्यथा और उनकी करूणक्रन्दन सुनने वाला सम्पूर्ण श्रृष्टि में कोई नही था धर्म का नाश हो रहा था और अधर्म का विस्तार हो रहा था, अधर्मी रावण को मारने वाला तीनों लोकों में कोई नही था स्वयं काल भी उसकी चरण वन्दना करता था, धरती पर धर्म की रक्षा करने के लिये भगवान् ने स्वयं अयोध्या के राजा दशरथ के यहाँ राम के रूप में जन्म लिया तो उनकी सहायता हेतु अलग-अलग योनियों के प्रांणियों ने भी वानर और भालुओं के रूप में जन्म लिया, परिस्थितियों और समयानुसार वानर और भालुओं की सहायता लेकर एक विशाल सेना का निर्माण किया और उन्ही वानर भालुओं की सहायता से अजेय लंकाधिपति का लंका सहित समूल नाश किया और विजय प्राप्त की उस युग में भी भगवान् श्रीराम ने धरती के प्राणियों को अधर्म से लड़ने का साहस प्रदान किया और स्वयं सबके साथ एक संरक्षक की भाँति उपस्थित रहे।

कलयुग में पृथ्वी से अत्याचार समाप्त करने के लिये चाहे अवतार हो या कोई आविस्कार हो वह स्वयं कुछ नही करेगा धरती का बोझ कम करने के लिये एक बोझ के साथ खडे़ होकर दूसरे बोझ को जड़ से मिटाने के लिये उत्साहित करेगा और यह टक्कर इतनी भीषण होगी कि टक्कर से उत्पन्न होने वाली ज्वाला दोनों दलों को स्वाहा करती नजर आयेगी सभी के पास दर्द की अपनी अपनी जागीर होगी और तबाही के रंगमंच के सभी अभिनेता होंगे दर्शक के रूप में सिर्फ खामोश लाशें ही नजर आयेंगी। यह सब इस लिये होगा कि उस वक्त किसी के पास दया, क्षमा, सभ्यता, संस्कार, संतोष और संतुष्टि जैसे अभूषण किसी के पास नही बचेगें सभी के पास ईष्र्या, द्वेष, लालच, छल-कपट, कामी-क्रोधी और अपने वर्चस्व का विस्तार करने की भावना बड़ी प्रबल होगी, वे लोग घर के आंगन में होली जलायेंगे जिनके घर स्वयं खर फूस के बने होंगे इस प्रकार अपने हाथों से ही अपना सर्वनाश करके अंत में जो बचेगा उसका भी मन इस खण्डहर में तब्दील पृथ्वी पर नही लगेंगा तब तक दिव्ययुग का सूर्य अस्त हो चुका होगा और रात का आगज हो चुका हो। वर्तमान में चर्तुयुग के बारें में सभी को पता है कि हम कलयुगी प्राणी हैं, ब्रम्हा के दिव्ययुग के अंतिम पड़ाव के मुसाफिर, यह अंतिम पड़ाव यानि कलयुग 04 लाख 32 हजार वर्ष का है, यदि सत्ययुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग से इसकी गणना की जाये तो सबसे कम अवधि कलयुग की ही बतायी गयी है। दिव्ययुग का अंतिम छोर कलयुग ही है उसके बाद इसी के बराबर यानी चार अरब बत्तीस करोड़ वर्षों तक ब्रम्हा की रात यानी प्रलय प्रारम्भ हो जायेगी।

राजकुमार तिवारी ‘राज’
बाराबंकी

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782

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