कविता

संगति

संगति से जीवन सजता है
कुसंगति से जीवन उजड़ता है
एक से जीवन उत्तम बनता है
दूसरे से जीवन नरक बनता है

प्रेम,सत्य की राह संगति दिखाती है
कुसंगति जीवन को दुखों से भर देती है
संगति अच्छी हो महान बन जाते है
दुनियां में अपना नाम कमाते है

जहर समान कुसंगति होती है
अंधकारमय जीवन कर देती है
फूल की तरह खुशबू बिखेरती है
कुसंगति जीवन को बोझ बना देती है

दोनों में से किसको तुम्हें अपनाना है
किस राह पर हमें चलना है
कुसंगति से हमेशा दूर रहना है
संगति से जीवन को स्वर्ग बनाना है.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश

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