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“अंतस्” की 67वी काव्य गोष्ठी

शिव रात्रि की पूर्व संध्या पर अंतस् की 67वी काव्य गोष्ठी पूर्ण भाव और भव्यता के साथ संपन्न हुई।

अंतस्-सचिव डॉ नीलम वर्मा जी के सौजन्य से दक्षिण दिल्ली स्थित कैलाश कोलोनी में उनके निवास में आयोजित इस गोष्ठी में  प्रसिद्ध कवि -शायर डॉ आदेश त्यागी  की अध्यक्षता और आपकी अपनी पूनम माटिया का संचालन रहा। मुख्य अतिथि शायरा रेणु हुसैन  सहित लगभग 15 वरिष्ठ कवि- कवयित्रियों की गरिमामयी उपस्थिति और शानदार काव्य-प्रस्तुति से सराबोर गोष्ठी अबाधित तीन घंटे चली। सरस्वती वंदना  इंदू ‘राज’ निगम  ने प्रस्तुत की।ऋतुराज बसंत  में श्रीराधा-कृष्ण की सुंदर प्रतिमा के सम्मुख पुष्प अर्पित कर सभी अतिथियों का स्वागत सम्मान  सतरंगी अंगवस्त्र पहना कर  किया गया।

डॉ मंजू गुप्ता, डॉ निशा भार्गव, डॉ अरुणा गुप्ता, डॉ अनिता वर्मा, मनोज ‘अबोध’ , राजेंद्र ‘राज’ निगम,  रूबी मोहंती,पूनम ‘सागर’  सहित अमरीका से पधारीं अनीता कपूर ने मनभावन कविताएं, गीत, ग़ज़लें, दोहे, माहिया, हास्य-व्यंग्य रचनाएं प्रस्तुत कीं।

हवेली जो अकेली गाँव में हम छोड़ आये हैं/ हमारे ख़ाब में आती हैं उसकी झलकियाँ अक्सर(आदेश त्यागी); तेरे बख्शे हुए ग़म भी हमें एहसान जैसे हैं मैं करती ख़ैर-मक़्दम कि ये मेहमान जैसे हैं(रेणु हुसैन); ज़िंदगी के इस सफ़र में बचपना जो खो दिया/ तो अजब बीमारियों का सिलसिला हो जाएगा(पूनम माटिया); माना, है राजनीति तुम्हारी उठान पर/ हो भीड़ में तो रखना नियंत्रण ज़ुबान पर(मनोज अबोध); बड़ी मस्त बंसी बजाए कन्हैया/ रसीले सुरों से रिझाए कन्हैया(नीलम वर्मा); रात रात भर, जाग जाग कर, चाँद हुआ पागल/ रोज़ नींद की गोली खाकर दिन में सोता है(राजेन्द्र निगम ‘राज’); अगर बताते कि आओगे आज मिलने तुम/ मैं ख़ुद को प्यार में अभिसारिका बना लेती(रूबी मोहंती); शरीर में  शुगर  और  कॉलिसट्रौल  बढ़ने  का  बरसों  बाद  समझ  आया  ये  चक्कर/ जिसको  देखो  वही  कहता है  तुम्हारे मुँह में घी-शक्कर, तुम्हारे  मुँह में  घी-शक्कर(निशा भार्गव); ऋतु वसंत के हाथ पर रखा धूपनुमा सोने का सिक्का/ मां धरती ने रेशम लेकर डाल डाल पर की फुलकारी(पूनम सागर); फूलों को मुस्काने दो, कलियों को खिल जाने दो/ इस वासन्ती मौसम को, गीत खुशी के गाने दो(इन्दु ‘राज’ निगम); वसंत एक ऋतु का नाम नहीं/ वसंत नाम है मन की हरियाली का/आनंद का, मुक्ति का, उल्लास का(मंजु गुप्ता); रातों ने बिखेरे हैं मेरी नींद में काँच/ ख़्वाबों का टूटना एक बहाना नहीं है(अनीता कपूर); तुम्हें देख क्यूँ थिरकने लगे पाँव मेरे ओ मयूर!(अरुणा गुप्ता); शिव दर्शन निर्मल मन का आकाश/ शिव रात्रि सब शांत, शाश्वत(अनीता वर्मा)… अद्भु||त काव्य प्रस्तुतियों  का सबने आनंद लिया|

विशेष उपस्थिति -अंतस्-स्तंभ आर्किटेक्ट तरंग माटिया की रही।स्वादिष्ट अल्पाहार से आरंभ और विशिष्ट व्यंजन-रात्रि भोज के उपरांत गोष्ठी को विराम दिया गया।

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia [email protected]