बाल कहानी

सुंदर सपना

परियों की रानी सुहासिनी नाम की तरह ही कोमल, मृदुल, हंसमुख थी। अपनी मृदुल वाणी से सबकी चहेती। आज रानी ने छोटे बड़े सबको न्यौता दिया था। चिंटिया, खरगोश, मधुमक्खियां सभी हिलमिल कर स्वादिष्ट  भोजन का आनंद  ले रहे थे। बुढ़े बाबाजी सबकी आवभगत कर रहे थे। उन्होंने खुद कुछ स्वाद का जादू जगाती मिठाइयां  बनायी थी और सबको खुद परोस रहे थे। बड़े बड़े पेड़ के नीचे महफिल सजी थी। फल, मेवा, मिठाई,  कैंडी, आईसक्रीम एक से एक खाना खजाना। अनुशासन के साथ सब आनंद ले रहे थे।

परी रानी नाजुक पंख फैलाती, यहां वहां आ जा रही थी। प्यार से सबकी मनुहार  कर रही थी।

रागिनी ने खूब सारे गुलाब जामुन खाये।

इतने में पंख फैलाता मोर आ गया। सुंदर हिरण आ गया। परी रानी से मिलने के लिए उतावली हो रही थी रागिनी और धन्यवाद देना.चाहती थी। वह खरगोश पर बैठ गयी। जैसे वह भागने लगा, धडाम से गिर पडी।

आंखे मसलते उठी। मां पुछ रही थी, 

“क्या हुआ  बिटिया? खाना नहीं खाना है?”

हाय! सुंदर सपना टूट गया।

आंखें बंद कर वह दुबारा सो गयी। सोच रही थी, 

काश सपना सच हो जाये। आशा है उसे, परी रानी आयेगी जरूर। हंसी ठिठोली होगी। खूब मजा आयेगा।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

Leave a Reply