कविता- पानी और प्यास
वो प्यासा मर गया
कुंआ के मुंडेर पर,
सच में उसे कुएं से
पानी निकलना
आता नहीं था,
बस बड़ी बाते बनाना
उसकी फितरत थी,
वो पानी के हक
के लिये आवाज उठाता
लड़ाइयां लड़ता
संघर्ष करके
लहू बहाता,
मौत ने मौका दिया
कुआं पास में था
मगर वो बातूनी था
सो बात ही बात में
प्यास के चलते
निपट गया दुनियां से..
— अभिषेक कुमार शर्मा