कविता
चाँद पर लिखी गयी हैं न जाने
आज तक कितनी ही अनगिनत कवितायेँ
अनेकों उपमाओं से सजाया गया है
उसकी खूबसरती को गीतों में
क्यों नहीं देखी किसी ने उसकी बदसूरती
क्योंकि लोग सिर्फ सुंदरता ही देखना चाहते हैं
ताजमहल को नवाजा गया है न जाने
कितनी ही उपमाओं से अक्सर
क्यों नहीं जानना चाहा कभी उसकी
सुंदरता के पीछे छिपे दर्द को
क्योंकि लोग प्रेम को बाँटना चाहते हैं
उसके अतीत में दबाए गए दर्द को नहीं
हर खूबसूरत चीज को अक्सर दर्द के
दरिया से गुजरना ही पड़ता है
छिपा कर अपने आँसूओं को यहाँ
खुशियों को बाँटना ही पड़ता है क्योंकि
लोग सिर्फ सुंदर चीजों के पीछे भागते हैं
मूल्यवान वस्तुओं से कोई सरोकार नहीं
— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़