गीत/नवगीत

दिखावे के व्यवहार ने

स्वारथ की इस दौड़ में, अपने को रहे भूल।

दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।।

जिह्वा हित भोजन जहाँ।

पौष्टिक तत्व मिलते कहाँ?

शरीर स्वस्थ कैसे रहे?

समय नहीं खुद को जहाँ।

निज हित में जीना हमें, परमारथ का मूल।

दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।।

क्या रखा इस होड़ में।

प्रदर्शन की दौड़ में।

तनाव का सृजन करें,

पड़ोसियों की तोड़ में।

खुद को, खुद के कर्म हैं, खुद रहना है कूल।

दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।।

दूजों की करते नकल।

घास चरने भेजी अकल।

मोटापा, शुगर और तनाव,

बिगाड़ी है, खुद की शकल।

शूलों का पोषण करें, चाह रहे हैं फूल।

दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।।

खुद ही खुद को समय नहीं है।

दूजे करें जो, वही सही है।

औरों की ही सोच है हावी,

अपनी बात न कभी कही है।

जीवन भर औरों को देखा, निज अस्तित्व गए भूल।

दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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