गीतिका/ग़ज़ल

तस्वीर के रंगों की तरह

तस्वीर के रंगों की तरह,यह धरती रंगी अजूबा है।
चित्रकार है एक खुदा ही उस के सिवा न दूजा है।
हिंदी मुस्लिम सिख ईसाई छैल यहा¡ हैं फूल खिले,
अपनें ढंग से मन से होती अज़ान प्रार्थना पूजा है।
हरी भरी यह धरती देखो नीला कैसा है गगन रचा,
श्वेत वस्त्र धारण कर के हिमालय कितना ऊ¡चा है।
भांति भांति के रंगों से रंगे उपवन खिले हैं‌ फूलों से,
चहक रहे हैं तितली भौंरे मिलन कितना अनूठा है।
कानन कितना सुंदर यहा¡ हर रंग के पशु हैं घूम रहे,
अपने अपने सब के रंग हैं कुदरत खजाना लूटा है।
रंग बिरंगे पक्षी धरा पर गाते हैं मधुर सुर गीत यहा¡,
कैसे रंगों से रंगी ईश्वर ने कोई रहा नहीं अछूता है।
भक्ती का रंग या प्रेम रंग हो चाह प्रभु को पाने की,
जपतप ध्यान साधना के रंग में हर साधक डूबा है।
तस्वीर के रंगों की तरह, यह धरती रंगी अजूबा है।
चित्रकार है एक खुदा ही उस के सिवा न दूजा है।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995

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