करती हूँ बस याद तुम्हें
तन्हाई में लिपटी हुई मैं करती बस याद तुम्हें
बांध लिया तुमने मुझको है एहसासों जाल में
बीत जाती है रातें दिन हर मंजर मेरे सामने
कुछ नहीं कर पाती हूँ यारा तेरे इंतजार में
तन्हाई में लिपटी हुई मैं करती हूँ बस याद तुम्हें
भूल न जाना तुम उस पल को जिस पल में हम साथ थे
कोई नहीं था हमदोनों के बीच बस जज्बात थे
अधरों को छूकर तुमने जो दिए मुझे सौगात थे।
तन्हाई में लिपटी हुई करती हूँ बस याद तुम्हें।
वर्षों बरस बिताएं हमने, प्यार के इजहार में
आधी आएं, तूफा आएं, सबसे हम लड़ते रहे
इश्क डूबा जिस्म हमारा, हर गम को सहते रहे
तन्हाई में लिपटी हुई मैं करती हूँ बस याद तुम्हें।
— बबली सिन्हा वान्या