कविता

कविता

कभी कभी कुछ बड़ा गहरा सा ,
लिखने का मन करता है….

कुछ ऐसे शब्द जो बता सकें,
कि मन कितना ऊब चुका है
ज़िंदगी के मेलों से,
लोगो के खेलों से,

खुद के ही बदलते भावो से,
कुछ ऐसे शब्द जो बता सकें,
कितनी बेसब्री मची है
सबसे अजनबी हो जाने की….

कुछ ऐसे शब्द जो बोल जाये
वो सब जो भीतर चल रहा है,
कुछ ऐसे शब्द जो बचा ले,
मुझे जीवन भर की उल्झनों से.

कुछ ऐसे शब्द जो कहे कि.
किसी की ज़रुरत नही है अब..
कुछ ऐसे शब्द जो
बताये व्यक्तित्व मेरा,

जताए हाले-दिल मेरा
मेरी अच्छाई, मेरी बुराई
और कह जाए वो सब
जो अब तक रह गया अनकहा

— हेमंत सिंह कुशवाह

हेमंत सिंह कुशवाह

राज्य प्रभारी मध्यप्रदेश विकलांग बल मोबा. 9074481685

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