गीतिका
इडली के सँग सौंधी साँभर क्या कहने!
पूड़ी – रोटी एक बराबर क्या कहने!!
हाथ-हाथ में मोबाइल नर-नारी के,
गली -गली में ऊँचे टावर क्या कहने!
आई ए एस की करें पढ़ाई कोचिंग में,
कंधे पर कुछ धरते काँवर क्या कहने!
बिना पढ़ों के सँग में पी ए अधिकारी,
नेताजी की ऊँची पावर क्या कहने!
मात-पिता की करें न सेवा ‘जलकुंभी’,
गोता ले-ले करें उजागर क्या कहने!
मरती नहीं हाथ से माखी तनते आप,
कहलाते हैं स्वयं गदाधर क्या कहने!
‘शुभम्’ रंग दुनिया के कैसे-कैसे हैं,
मूढ़ लोग हैं नित्य निछावर क्या कहने!
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’