कविता

कैसा महिला दिवस

दिखावे का क्यू ,मना रहे महिला दिवस ।
सब ने महिलाओं को, बना लिया सहस ।।
महफूज नही बहु बेटी, फिर कैसा दिवस ।
गांव गली शहर में,बुझा रहे अपना हवस ।।

बहु बेटी सब पर हो रहे, भारी अत्यचार ।
घटना भी छप जाता ,पढ़े जब अखबार ।।
बड़े बड़े डिबेट होते, चलता यह समाचार।
बेटी की हत्या हुई, बहु के साथ दुराचार ।।

दुराचार सहकर, मन को टटोल रह जाती है ।
परिवार मान की खातिर, चुप रह जाती है।।
चुप रहने के कारण ,आज भी मारी जाती है ।
बहु बेटी सब नारी ,लाचार ही समझी जाती है।।

पूछ रही भारत की बेटी, क्या हमारी गलती है ।
हमारे नाम के कारण कंकण भी नही हिलती है।।
कानून के किताब में,सजा क्यों नही मिलती है।
के दुराचारी भी दुराचार करने से,नही डरती है।।

उदाहरण तो खूब देते, इंदिरा प्रतिभा सायना ।
खुद कभी झाँको , मन का मैल भरा आइना।।
कब मिलेगी आजादी , बस यही था पूछना ।
सब जगह सकुशल रहे ,ये था हमारा कहना ।।

मत करो , झूठे वादो वाला, यह आयोजन ।
मत करो , झूठे ताज पहना के, अभिवादन ।।
कैसा महिला दिवस और ये, नारी का सम्मान ।
आज सम्मान तो,कल फिर से क्यूँ नारी समान।।

— सोमेश देवांगन

सोमेश देवांगन

गोपीबन्द पारा पंडरिया जिला-कबीरधाम (छ.ग.) मो.न.-8962593570

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