यह कलयुग ही तो है
यहां झूठ का बोलबाला है
सच्चाई की होती हार है
मानवता जहां नष्ट होती है
यह कलयुग ही तो है
रिश्तें का कोई महत्व नहीं है
भाई भाई का दुश्मन है
माता पिता जहां बोझ लगते है
यह कलयुग ही तो है
बहन ,बेटियों पर कुदृष्टि होती है
नारी का हर पल अपमान होता है
झूठ के सहारे ठगा जाता है
यह कलयुग ही तो है
सत्य का साथ कोई नहीं देता है
अन्याय को बढ़ावा मिलता है
घूंसखोरी से सब जीता जाता है
यह कलयुग ही तो है.
— पूनम गुप्ता