सड़कों पर अनियंत्रित यातायात. परिणाम : दुर्घटनायें
लगभग सभी देशों में यातायात से होने वाली दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती है । इनका अनुपात विकासशील एवं विकसित देशों में लगभग एक सा होता है । जहां तक भारत का सवाल है भारत में सड़क यातायात का अनुपात बहुत ज्यादा है । भारत में सड़क दुर्घटनाएं निम्न कारणों से ज्यादा होती हैं :
- सड़कों पर अनियंत्रित यातायात का होना ।
- यातायात के नियमों का पालन न करना ।
- सड़कों पर दुपहिया गाड़ियां ज्यादा होना ।
- सभी प्रकार की गाड़ियों ( दुपहिया , चारपहिया ) का साथ – साथ एक ही सड़क पर चलना । बड़ी संख्या में पुरानी , खराब गाड़ी का सड़क पर चलना ।
- सड़कों पर आवारा पशुओं का जमघट वाहनों के लिए सभी को लायसेंस दे देना ।
- खराब सड़कें होना , सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था न होना ।
- यातायात के संकेतों का न होना ।
ज्यादातर दुर्घटनाएं उन स्थानों पर ज्यादा होती हैं , जहां मनुष्य के लिए नया स्थान होता है । दुर्घटनाएं ज्यादातर 15-35 साल की उम्र में ज्यादा होती हैं , क्योंकि युवावस्था में वाहन चलाना उत्साहवर्धक रहता है, अतः युवावस्था से जुड़े कारण जैसे अत्यधिक तीव्र गति से वाहन चलाना । पर्याप्त अनुभव की कमी होना । आत्मविश्वास की अधिकता । गलत निर्णय लेना । - मानसिक असंतुलन , क्रोधित होना । समय – समय पर उन्माद में आना ।संभावना होती है । दुर्घटना से बचने के लिए आत्मरक्षा अत्यंत आवश्यक है । अतः यदि आत्मरक्षा के साधन जैसे हेलमेट , सीट बेल्ट नहीं बांधे जाते हैं तब दुर्घटनाएं होने की ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं के लिए उत्तेजित करने वाले कारण अत्यंत योगदान देते हैं जैसे नशायुक्त पदार्थ का सेवन कर वाहन चलाना
- एल्कोहल , गांजा , भांग आदि । यह कारण दुर्घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं ।
- अत्यधिक भावुकता में वाहन चलाना भी दुर्घटना का कारण बनता है ।
- सुरक्षा से संबंधित जानकारी लोगों को देना अत्यंत जरूरी है , लोगों को दुर्घटना से बचने के उपायों के बारे में शिक्षित करना चाहिए । समय – समय पर शिक्षासंचार जानकारी के माध्यम से लोगों तक दुर्घटनाएं रोकने एवं दुर्घटना हो जाने पर जान बचाने के उपायों की जानकारी देना चाहिए । जैसे
- सड़कों के किनारों पर बड़े – बड़े होर्डिंग लगाना , जिसमें दुर्घटना से बचने की जानकारी हो ।
- टीवी रेडियो में दुर्घटना से बचने हेतु छोटी – छोटी कहानियों के माध्यम से जानकारी देना । यह अत्यंत जरूरी है , केवल हेलमेट को लगाकर दो पहिया वाहन चलाने से हम बच सकते हैं । 30-35 प्रतिशत तक मृत्युको केवल हेलमेट लगाने से दूर किया जा सकता है । यह सुरक्षात्मक उपकरण है । दो पहिया वाहनों के लिए हेलमेट एवं चारपहिया वाहनों के लिए सीटका पट्टा । बच्चे ( किशोर ) जबदो पहिया वाहन चलाना सीख जाते हैं तब वह शौक – शौक में ज्यादा गाड़ी चलाते हैं और तेजी से भी चलाने लगते हैं , जिससे दुर्घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है । अतः 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने पर पूर्णतः रोक लगानी चाहिए । यदि यातायात संबंधी कानून हम तैयार करें और उनका सख्ती से पालन करें तो दुर्घटना से बचा जा सकता है ।
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद