सामाजिक

होली के रंग मेरे व्यक्तिगत अनुभव के संग”

होली का नाम लेते ही सहसा बचपन वाली होली की ही याद आ ही जाती है। माँ, पापा हम सभी भाई बहन खूब मजे लेकर पर्व की तैयारी करते थे।होलिका दहन से ही तैयारी शुरू कर देते थे। सम्मत पर चढ़ाने के लिए माँ कच्चे चने रखती, होरहा, बड़ी कढ़ी, पुआ, पूरी सब बनता और माँ पापा को भेजती थी उसे होलिका में चढ़ाने के लिए।उसके बाद हम सब खाते।होली के लिए होलिका दहन के आधी रात से ही पुआ और दही बड़ा की तैयारी शुरू हो जाती थी। मेरे पापा का उत्साह देखने लायक रहता था। हर छोटी चीज जो भी घटती दौड़ के बाजार से लेकर आते। उनका उत्साह हम लोगों के लिए प्रेरणादाई है। एक बार मैंने पापा से कहा मुझे यह होली बिल्कुल पसंद नहीं आती। दूसरे दिन उसे मिटाने में हालत खराब हो जाती है। पापा ने मुझे कहा की बेटा कोई भी पर्व खराब नहीं होता यह खुशियाँ देकर ही जाती है, और यह इस बात का प्रतीक है कि हमारा सब कुछ बेहतर चल रहा है कोई अशुभ नहीं घटा, हम पर्व मनाने की स्थिति में है। पापा की बात ही सुन रही थी कि हमारे कॉलोनी के लोग लड़के लड़कियां सब रंग खेलने आ गए और मैं खुशी-खुशी रंग खेलने भी गई।अचानक किसी ने मेरे चेहरे पर हरा रंग मुट्ठी भर के लगाया। पहले हरे रंग में अभरख मिला हुआ रहता था। दोस्तों ने मेरे चेहरे पर पूरा हरा रंग लगा दिया। नाक में उसके कुछ अंश चले गए और मेरी साँस उखड़ गई। काफी मशक्कत के बाद ठीक हुई। तकरीबन दस दिन तक जब भी मैं नाक साफ करती या खराश आती तो गले से हरा रंग हल्के मात्रा में निकलता ही था। तब मैं पापा को मन ही मन कोसती, कि बता रहे थे कि हर पर्व अच्छा होता है, मन से मनाना चाहिए कोई पर्व खराब नहीं होता, भोग तो हम ही रहे हैं ना।
कहने का अभिप्राय यही है कि होली हो या कोई भी पर्व वाकई जीवन में खुशियाँ उत्साह लेकर के ही आता है। बस थोड़ी सावधानी की आवश्यकता है। वस्तु खरीदते समय अवश्य ध्यान रखिए कि वह किस तरह की है।आज तो बाजार में हर्बल और ऑर्गेनिक रंग गुलाल आ गए हैं, तो कुछ समस्या की बात ही नहीं है। बस ऐसे ही रंग गुलाल के साथ होली मनाएं सभी और इस बार होली में तन के साथ मन दोनों ही रंगे।

वह रंग ही क्या जो धूल जाए,
वह रंग ही क्या जो धूल जाए,
बीते लम्हों की याद ना दिलाए,
रह जाए ना कोई भी मलाल
अबकी मन भी रंगे गुलाल।

इसी आशा के साथ सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। जी भर के खेले होली बस थोड़ी सावधानी के साथ।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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