विश्वास अभी भी तुम पर है
साथ किसी के रहो भले ही, अहसान तुम्हारा हम पर है।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।
हम मनमौजी भटक रहे थे।
चलते-चलते अटक रहे थे।
साथ कोई भी नहीं था जग में,
निराशाओं में लटक रहे थे।
आज भी अकेले अपने पथ पर, विश्वास नहीं अब खुद पर है।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।
हमें तुम्हारा हाथ चाहिए।
तुम्हें दुनिया का साथ चाहिए।
हमारा साथ न भाता तुमको,
ऊँचा तुम्हें बस माथ चाहिए।
हमें आश केवल है तुमसे, तुम्हें नाज़ गैरो पर हैं।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।
हमें छोड़कर सब तुम्हें प्यारे,
समझा कर, हम तुमसे हारे।
एक चाह तुमरी बस देखी,
करें प्रशंसा तुम्हारी सारे।
बिना पंख तुम उड़ान हो भरतीं, हमारा ध्यान पैरों पर है।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।
हमारा विरोध प्रिय है तुमको।
साथ न भाता हमारा तुमको।
संघर्षों के हम है राही,
सुविधाओं की चाह है तुमको।
हम गाँवों के रहे पुजारी, तुम्हारा ध्यान शहरों पर है।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।
नहीं, सुखी हम तुम्हें रख पाए।
नहीं, साथ मिल हम चल पाए।
पथ चलते संबन्ध बनाकर,
तुमने समझा धन, यश पाए।
हमने विकास चाहा था तुमरा, तुम्हारा लोभ दुनिया पर है।
अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।