होली
बसंती बयार चली धीरे धीरे
मन को बेचैन कर धीरे धीरे
कोयल की कूक लगे प्यारे प्यारे
सजना के प्यार लगे न्यारे न्यारे
फागुन के रंग में रंगे सब ऐसे
रंगो अबीर के झड़ी लगी जैसे
होली के रंग में रंगा गई सजनी
सजना के प्यार में दिवानी सजनी
लाल हरा पीला नीला बना रंग
रंग अबीर गुलाल मले सब
पुए पकवान बना है मिठाई
मस्ती के रंग में रंगा दुनिया सारी
प्रेम उमंग उत्साह जागता
होली जब आता तो
सबका मन भाता।
— विजया लक्ष्मी