कुण्डली/छंद

कुकुभ छंद रचना 

नन्हा सा बालक जब रोता, आंचल में छुप चुप होता।

ममता की छाया में सोता, भरता सुख सागर गोता।।

गोदी में पाता सुख सारे, धन वैभव, जगमग तारे।

अंतस प्रभु रूप निहारे, अपनों के चरण पखारे।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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