होली का त्योहार एक ऐसा अवसर है,,,
उड़ाओ गुलाल प्रेम का बरसाओ तुम रंग।
आपस में मिलो गले आ जाओ तुम संग।
आज की होली और बीते समय की होली में बहुत बड़ा अंतर आया है। पहले, होली एक पारंपरिक त्योहार था जो समुदाय के लोगों को एक साथ लाता था। लोग अपने घरों को रंगोली से सजाते थे, होलिका दहन करते थे, और एक दूसरे के साथ रंग और गुलाल खेलते थे। ऐसा नहीं है कि आज ये तेवहार नहीं मनाया जाता,मनाया तो जाता है मगर सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित नज़र आता है।
लेकिन आज, होली की रस्म अदायगी सिर्फ एक औपचारिकता बन गई है। लोग होली के दिन को सिर्फ एक अवकाश के रूप में देखते हैं, न कि एक पारंपरिक त्योहार के रूप में। हमें इसके पीछे की सच्चाई और परंपरा को समझकर आत्मसात करना चाहिए,भारत परंपराओं और विषद परंपराओं का देश है। इसके अलावा, आज के डिजिटल युग में, लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है। लोग अब अपने घरों में बैठकर होली के गीत सुनते हैं और सोशल मीडिया पर होली की शुभकामनाएं देते हैं। और इसी को इतिश्री मान कर खुद को धन्य समझ बैठते हैं ,लेकिन वे होली के वास्तविक अर्थ और महत्व को भूलते जा रहे हैं।हम संकुचित मानसिकता और संकुचित प्रवृत्ति को गले लगा कर बैठ गए हैं। हम अपने आपसी सौहार्द और एकता को भूल जाते हैं और सिर्फ अपने व्यक्तिगत हितों को देखते हैं।
लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम अभी भी होली के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझ सकते हैं,ओर समझना ही चाहिए, ऐसा करके हम अपने आपसी सौहार्द और एकता को बढ़ावा दे सकते हैं। हमें होली के रंगों और खुशियों के साथ-साथ, अपने समुदाय और समाज के लिए भी काम करना चाहिए। होली का त्योहार एक ऐसा अवसर है, जो हमें एकता, सौहार्द और प्रेम की भावना को बढ़ावा देने का मौका देता है। लेकिन जब हम इसे जाति-पाति और धार्मिक कट्टरता के चश्मे से देखते हैं, तो यह त्योहार अपना वास्तविक अर्थ खो देता है।
भारत एक ऐसा देश है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब का गहवारा है, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं और एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। लेकिन जब कुछ लोग इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं, तो यह न केवल अन्यायसंगत है, बल्कि यह हमारे समाज की एकता और सौहार्द को भी कमजोर करता है। हमें होली के त्योहार को उसके वास्तविक अर्थ में मनाना चाहिए, जो एकता, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है। हमें अपने मतभेदों को भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाना चाहिए।होली का त्योहार एक ऐसा अवसर है।
— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज़