क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
1
सत्ता की जादूगरी का
कमाल तो देखिए
कोई रोजगार नहीं दिखता
फिर भी मालामाल देखिए।।
2
आदमी की संवेदना जो छीन ली
मोबाइल ने
एक दिन सदी कहेगी पीढ़ियों से
यह काम कीजिए
इस विकास का हिसाब दीजिए।
4
देखिए इस सदी का किसान
कितना मजबूर हो गया
पेट भरने के लिए बेचारा
किसानी छोड़कर मजदूर हो गया।
5
इस सदी ने जमाने को ये कैसे
न बुझने वाले अंगार दिए
इनका हिसाब कौन देगा जो स्वार्थ ने
सत्ता के सारे सिध्दांत मार दिए।
6
सूखे पत्ते ने कहा-
जीवन के हर रंग को प्यार कर
बसंत में इतराना मत
पतझड़ को सहर्ष स्वीकार कर
7
धीरज ने कहा हिम्मत से
मेरे साथ साथ चल
जीवन -उपवन महक उठेगा
आज नहीं तो कल।
8
दुनिया में ऐसे गुलशन
कहीं नहीं मिलते
यहां छल कपट की बेल पर
प्रेम पुष्प हों खिलते।
9
देर तक नहीं ठहरता है
अक्स कभी पानी में
व्यर्थ गंवा न देना यारा
जीवन इस नादानी में ।
10
चिन ले कोई
बेशक थोड़ी देर तलक
छल की बुनियादों पर
ताज़ नहीं बनते ।
11
नई तहजीब ने
यह मुखौटा लगा रखा है
बंद दरवाजे पे
स्वागतम लिखा रखा है।
12
भाड़े का लेखक
भाड़ा लेकर मुस्काया
वही लिखा
जो राजा ने लिखवाया ।
13
सम्मान पत्रों से
कवि का थैला तो भर गया
मगर सुना कि
वह बेचारा भूखा मर गया।
14
पुरानी यादें
किताबों में रखे फूल
उम्र भर करता है आदमी
संभालने की भूल।
15
आंकड़ों का जाल बिछाकर
हंसा नेता सत्ता पाकर
रोई जनता छटपटाकर
किसी ने नहीं बचाया आकर।
अशोक दर्द डलहौजी चंबा हिमाचल प्रदेश