गीत/नवगीत

ये रंग ये गुलाल

उड़ रहा ये रंग ये गुलाल,
हुए हम आज खुशहाल।
जीवन में ये रंग न हो तो,
अपनों का गर संग न हो तो,
कैसा लगेगा जीवन बेहाल।

आज होली पर तुम न रूठो,
अपनों संग पराए भी ढूंढो।
जिसका जीवन बेरंग हो,
अपने जिसके संग न हो।
बांटें खुशियां न पूछो सवाल।
उड़ रहा ये रंग ये गुलाल।

ऐसे मनाओ होली का त्योहार,
बरसा दो रंगों की बोछार।
गुलाबी,पीले,लाल रंग लेकर ,
भरें जीवन में रंग मिलकर।
पर मर्यादा का भी रखें ख्याल।
उड़ रहा ये रंग ये गुलाल।

खुशियां सदा रहें ये है कामना,
मुश्किल में हाथ ज़रा थामना।
गूंजे ये हंसी और ये ठहाके,
सब सदा यूंही रहें मुस्कुराते।
बेवजह न करे कोई बवाल।
उड़ रहा ये रंग ये गुलाल।

सफेद कपड़ों का हाल देखो,
इन पर लगा ये गुलाल देखो।
सबके चेहरे रंगीन हो गए हैं,
सब भूले रंगों में खो गए हैं।
सब मिल कर रहे हैं धमाल।
उड़ रहा ये रंग ये गुलाल।

आए त्योहार सदा खुशियां लेकर,
जीएं जीभर न रहे कोई मलाल।
उड़ रहा ये रंग ये गुलाल।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

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