कविता
अब त्योहारों के बाद के
हिसाब-किताब में
खर्चे अधिक और
रिश्ते कम आते है ।
जितना भी दिखा लो….
मुस्कुराहटें उतनी ही होती हैं
जितनी तस्वीरों में नजर आती है
अब उत्साह से ज्यादे अकेलापन
हावी रहता है।
अब तो फोन भी कम आते जाते हैं क्योंकि
फार्वर्ड मैसेज और इमोजी का जो जमाना है।
समय खूब बच जाता है ।
— साधना सिंह