सामाजिक

संस्कार व्यक्ति के विचारों, मूल्यों, और व्यवहार को आकार देते हैं

दोस्ती को परिभाषित करने के लिए, हमें यह समझना होगा कि दोस्ती क्या है और क्या नहीं है।दोस्ती की परिभाषा सबके लिए अलग अलग हो सकती है, दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो निस्वार्थ, विश्वास, और समर्थन पर आधारित होता है। दोस्ती में हम एक दूसरे के साथ खुशियाँ और दुख बांटते हैं, एक दूसरे की मदद करते हैं, और एक दूसरे का सम्मान करते हैं। दोस्ती में कोई लालच नहीं होनी चाहिए। हमें अपने दोस्तों से कुछ पाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, बल्कि हमें अपने दोस्तों के लिए कुछ देने की इच्छा रखनी चाहिए।
दोस्ती को परिभाषित करने के लिए, हमें यह भी समझना होगा कि दोस्ती क्या नहीं है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता नहीं है जो केवल अपने फायदे के लिए बनाया जाता है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता नहीं है जो केवल तब तक रहता है जब तक हमें कुछ पाने को मिलता है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हमेशा रहता है, चाहे हमें कुछ पाने को मिले या न मिले। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हमें मजबूत बनाता है, हमें खुशी देता है, और हमें जीवन के हर मोड़ पर साथ देता है। दोस्ती किसी भी व्यक्ति से हो सकती है, चाहे वह महिला हो या पुरुष। दोस्ती का आधार लिंग, उम्र, धर्म, जाति या किसी भी अन्य कारक पर नहीं होना चाहिए।
दोस्ती का आधार विश्वास, समर्थन, और आपसी समझ पर होना चाहिए। जब हम किसी व्यक्ति के साथ दोस्ती करते हैं, तो हमें उनकी भावनाओं, विचारों और जरूरतों का सम्मान करना चाहिए।
महिला और पुरुष दोनों ही एक दूसरे के साथ दोस्ती कर सकते हैं और एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दोस्ती में लिंग का कोई महत्व नहीं है, बल्कि दो व्यक्तियों के बीच का संबंध और आपसी समझ महत्वपूर्ण है।
विपरीत लिंग के बीच स्वस्थ मित्रता होना या न होना यह एक जटिल और व्यक्तिगत विषय है, और इसका उत्तर हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है। लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि,
विपरीत लिंग के बीच स्वस्थ मित्रता संभव है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। दोनों पक्षों को अपने रिश्ते की स्पष्टता और समझ होनी चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका रिश्ता मित्रता है, न कि प्रेम। दोनों पक्षों को अपने रिश्ते की सीमाएँ समझनी चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि क्या स्वीकार्य है और क्या नहीं।
दोनों पक्षों को एक दूसरे के प्रति विश्वास और सम्मान होना चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका रिश्ता आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित है।दोनों पक्षों को खुलकर और ईमानदारी से संचार करना चाहिए। उन्हें अपने विचारों और भावनाओं को साझा करना चाहिए। अब, यदि आप पूछते हैं कि क्या यह रिश्ता धीरे-धीरे प्रेम में बदल सकता है, तो इसका उत्तर है – हाँ, यह संभव है। लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को अपने रिश्ते की दिशा को समझना होगा और अपने विचारों और भावनाओं को साझा करना होगा।
यह भी महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्षों को अपने रिश्ते की सीमाएँ समझनी चाहिए और उन्हें पार नहीं करना चाहिए। यदि वे अपने रिश्ते को प्रेम में बदलना चाहते हैं, तो उन्हें अपने विचारों और भावनाओं को साझा करना चाहिए और अपने रिश्ते की दिशा को समझना चाहिए।
मित्रता और प्रेम के बीच की रेखा बहुत पतली होती है, और कभी-कभी जब मित्रता विपरीत लिंग से हो तो यह रेखा इतनी धुंधली हो जाती है कि हमें यह समझने में मुश्किल होती है कि हमारे रिश्ते में क्या हो रहा है। जब हम किसी व्यक्ति के साथ मित्रता करते हैं, तो हम उनके साथ समय बिताते हैं, उनके साथ बातें करते हैं, और उनके साथ अपने विचारों और भावनाओं को साझा करते हैं। यह सब करने से हमें उनके प्रति एक गहरा जुड़ाव महसूस होता है, जो धीरे-धीरे प्रेम में परिवर्तित हो सकता है।
इसलिए, यह कहना कि मित्रता को प्रेम में परिणित होने में देर नहीं लगती, बिल्कुल सही है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने रिश्तों को समझें और उन्हें सावधानी से संभालें। व्यक्ति के संस्कार विपरीत लिंग के साथ संबंधों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संस्कार व्यक्ति के विचारों, मूल्यों, और व्यवहार को आकार देते हैं, जो कि संबंधों में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि व्यक्ति के संस्कार अच्छे हैं, तो वह विपरीत लिंग के साथ संबंधों में सम्मान, विश्वास, और सीमाओं का ध्यान रखेगा। वह अपने संबंधों में ईमानदारी, निष्ठा, और समर्पण का प्रदर्शन करेगा। लेकिन यदि व्यक्ति के संस्कार खराब हैं, तो वह विपरीत लिंग के साथ संबंधों में अनुचित व्यवहार कर सकता है, जैसे कि अनुचित संबंध, धोखाधड़ी, या अपमानजनक व्यवहार। इसलिए, व्यक्ति के संस्कार विपरीत लिंग के साथ संबंधों में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अच्छे संस्कार व्यक्ति को स्वस्थ और सम्मानजनक संबंध बनाने में मदद करते हैं।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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