हकीकत
यही जिंदगी है,
हकीकत पर भी शक है।
उम्र का एक दौर था,
जादू पर भी यकीं होता था,
मुरझाए हुए फूलों को,
लोगों की दुआ मिलता था,
समझौते पर खरा उतरने में,
सबसे गुफ्तगू करने का,
एक हद पार नहीं करने का,
एक अन्दाज़ यही,
यही मौजूद दिखता था।
सच्चाई है तो दुनिया आबाद है,
इसकी वजह से ही,
हित में काम करने की हिम्मत जुटाते हैं लोग।
हमेशा कोशिश करते हुए,
आगे बढ़ने की चाहत,
रखते हैं सब लोग।
हमें आगे बढ़ने में,
इस यकीं पर खरा उतरने की,
कोशिश करनी चाहिए यहां।
ज्ञान दर्पण में उम्मीद बनाएं रखने की,
हमेशा कोशिश करते हुए,
आगे बढ़नी चाहिए यहां।
हमें एक सुखद अहसास दिलाने में,
इसकी वजह से रूबरू होना पड़ता है।
हरेक पड़ाव पर,
इसकी सोहबत में रहना,
सही सही लगता है।
ऐसा लगता है कि सब लोग,
हकीकत पर भी लम्बी उम्मीद नहीं रखते हैं।
ज्ञान दर्पण में,
सबकुछ हासिल करने के लिए,
हदें पार करने से घबराकर,
पीछे किनारे पर,
रहकर बस एक ही बातें करते हुए,
जिंदगी में खोई हुई खुशियां को आवाज देने में,
हमेशा परहेज़ करते हुए
सावधानी बरतते हैं।
— डॉ. अशोक, पटना