पर्यावरण

गौरेया चिड़िया बहुत ही सामाजिक होती है

गौरेया चिड़िया हमारे आसपास की एक आम चिड़िया है, लेकिन इसकी सुंदरता और महत्व को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। यह चिड़िया न केवल हमारे आंगन की शोभा बढ़ाती है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
गौरेया चिड़िया की कई विशेषताएं हैं जो इसे अन्य चिड़ियों से अलग बनाती हैं।
गौरेया चिड़िया का रंग और डिज़ाइन बहुत ही सुंदर होता है। इसके पंखों पर सफेद और भूरे रंग के निशान होते हैं।
गौरेया चिड़िया का गायन बहुत ही मधुर होता है। यह अपने गीतों से हमें आनंदित करती है।
गौरेया चिड़िया बहुत ही सामाजिक होती है। यह अक्सर अपने समूह में रहती है और एक दूसरे के साथ खेलती है।
गौरेया चिड़िया का हमारे पर्यावरण के लिए बहुत महत्व है।
गौरेया चिड़िया कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह कीटों को खाकर उन्हें नियंत्रित करती है।गौरेया चिड़िया बीजों को प्रसारित करने में मदद करती है। यह बीजों को अपने मल में छोड़कर उन्हें नए स्थानों पर प्रसारित करती है।गौरेया चिड़िया पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। यह अपने गायन और गतिविधियों से पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है।
गर्मी के मौसम में गौरेया चिड़िया का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है:
गर्मी में गौरेया चिड़िया को पानी की आवश्यकता होती है। हमें उनके लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
गर्मी में गौरेया चिड़िया को छाया की आवश्यकता होती है। हमें उनके लिए छाया की व्यवस्था करनी चाहिए।गर्मी में गौरेया चिड़िया को भोजन की आवश्यकता होती है। हमें उनके लिए भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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