ग़ज़ल
काश तुम हमको प्यारे न होते।
तो अश्क बहते हमारे न होते।।
छोड़ देती तुझे तन्हा बेरहम।
दिल अगर हम हारे न होते।।
है बद्दुआ तुझे मेरी ओ सनम।
बहते हुयेअश्क बेचारे न होते।।
कोई वादा तुमने न किया पूरा।
नही आज दुश्मन हमारे न होते।।
चाहा क्या मैने तुमसे ये सनम।
मुहब्बत न होती तारे न होते।।
कैसे माफ कर दूं मैं गुस्ताखियां।
सरेराह तुम हमे पुकारे न होते।।
तड़पते रहे हम सारे जहान में।
तुमने देखे ये नजारे न होते।।
मिल तो जाते हमसफर कई।
जो इशारे हमको तुम्हारे न होते।।
हूं बज्म मे मैं तुम्हारे खातिर।
तुम न होते हम पधारे न होते।।
दे देती तलाक तुमको अभी।
खत जो पास तुम्हारे न होते।।
होगा फैसला तेरा मेरा सनम।
आज होता लोग तुम्हारे न होते।।
आती आज छत पर तुम्हारे।
नैन जो बरसे हमारे न होते।।
पूरा चांद तुम्हारे आगोश में है।
मायूस हम यूं कुंवारे न होते।।
— प्रीती श्रीवास्तव