गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

काश तुम हमको प्यारे न होते।
तो अश्क बहते हमारे न होते।।

छोड़ देती तुझे तन्हा बेरहम।
दिल अगर हम हारे न होते।।

है बद्दुआ तुझे मेरी ओ सनम।
बहते हुयेअश्क बेचारे न होते।।

कोई वादा तुमने न किया पूरा।
नही आज दुश्मन हमारे न होते।।

चाहा क्या मैने तुमसे ये सनम।
मुहब्बत न होती तारे न होते।।

कैसे माफ कर दूं मैं गुस्ताखियां।
सरेराह तुम हमे पुकारे न होते।।

तड़पते रहे हम सारे जहान में।
तुमने देखे ये नजारे न होते।।

मिल तो जाते हमसफर कई।
जो इशारे हमको तुम्हारे न होते।।

हूं बज्म मे मैं तुम्हारे खातिर।
तुम न होते हम पधारे न होते।।

दे देती तलाक तुमको अभी।
खत जो पास तुम्हारे न होते।।

होगा फैसला तेरा मेरा सनम।
आज होता लोग तुम्हारे न होते।।

आती आज छत पर तुम्हारे।
नैन जो बरसे हमारे न होते।।

पूरा चांद तुम्हारे आगोश में है।
मायूस हम यूं कुंवारे न होते।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

पता- 15a राधापुरम् गूबा गार्डन कल्याणपुर कानपुर

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