छोड़ो व्यर्थ पानी बहाना
बारिश को अब आने दो।
तपती गर्मी जाने दो॥
छोड़ो व्यर्थ पानी बहाना,
जीवन को बच जाने दो॥
ये बादल भी कुछ कह रहे।
इनको मन की गाने दो॥
कटते हुए पेड़ बचाओ।
शुद्ध हवा कुछ आने दो॥
पंछी क्या कहते है सुन लो।
उनको पंख फैलाने दो॥
फोटो में ही लगते पौधे।
सच को बाहर लाने दो॥
होती कैसे धरा प्रदूषित।
सबको पता लगाने दो॥
पौध लगाकर पानी दे हम।
सच्चा धर्म निभाने दो॥
चल चुकी है बहुत आरिया।
धरती कुछ बच जाने दो॥
कैसे अब हरियाली होगी।
सौरभ प्रश्न उठने दो॥
झुलस रही पावन धरती पर।
हरियाली तुम आने दो॥
— प्रियंका सौरभ