कविता

शब्द गंगा

विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 

हृदयतल से निकली शब्द गंगा, 

भाव भरी कविता बन बहती है,

प्रेम, दुलार, स्नेह, अनुराग धारा,

रिमझिम तुषार छितराती है।।

कभी शब्द तीखे तेवर धरते,

आक्रोश का संबल बन झरते,

निष्पक्ष, बेबाक, सत्यार्थी कविता,

जन चेतना साहस जगाती है।।

कविता हिय मधुर झंकार हैं,

दुख-दर्द गम, पीडा पीर है,

हरती मानस का क्षोभ ज्वार,

कविता मनोभाव आवेग है।।

कविता अंतस का सुसंवाद हो,

कविता अन्याय का पर्दाफाश करे,

कविता हो आह्लाद, उमंग, उल्लास, 

कविता जन गण मन की आवाज हो।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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