पर्यावरण

पलास के फुल भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं।

पलास एक सुंदर और आकर्षक पेड़ है, जो अपने खूबसूरत फूलों और पत्तियों के लिए जाना जाता है। पलास के फुल भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं। ये फूल गहरे लाल या गुलाबी रंग के होते हैं और इनमें पांच पंखुड़ियाँ होती हैं। पलास के फूलों की खुशबू बहुत ही मोहक होती है और ये फूल पेड़ पर मार्च से मई तक खिलते हैं। पलास के पत्ते बड़े और चौड़े होते हैं, जो हरे रंग के होते हैं। ये पत्ते पेड़ की शाखाओं पर लगे होते हैं और इनमें एक विशेष प्रकार की सुगंध होती है।

पलास का तना मजबूत और सीधा होता है, जो 10 से 15 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। तने का रंग भूरा या काला होता है और इसमें कई शाखाएँ निकलती हैं। पलास के फल छोटे और गोल होते हैं, जो जून से अगस्त तक पकते हैं। फल का रंग हरा या पीला होता है और इसमें कई बीज होते हैं। पलास का महत्व न केवल इसकी सुंदरता के लिए है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के लिए भी है। पलास के फूलों और पत्तियों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। 

पलास एक पवित्र और सुंदर पेड़ है, जो भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखता है। पलास का पेड़ हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। यह पेड़ भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है। पलास के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और शांति मिलती है। पलास के पेड़ के विभिन्न भागों में औषधीय गुण होते हैं। इसके फूलों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे कि सर्दी, खांसी और बुखार। इसके अलावा, पलास के पत्तियों का उपयोग त्वचा की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।

पलास का पेड़ पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पेड़ वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इसके अलावा, पलास के पेड़ की जड़ें मिट्टी को स्थिर करने में मदद करती हैं और भूमि क्षरण को रोकने में भी मदद करती हैं। पलास का पेड़ भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। यह पेड़ कई त्योहारों और समारोहों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि होली और दिवाली। इसके अलावा, पलास के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और शांति मिलती है।

— डॉ. मुश्ताक अहमद

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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