गीतिका/ग़ज़ल

प्यार की गहराई

उम्र गुज़री है जिसकी सरमाई में
मौत भी आए उसके परछाई में !

अक्सर हम सोचते हैं तन्हाई में
तुम बस गए हो मेरी दिल की गहराई में !

तुम से जुदा वजूद नहीं है मेरा
तुम तो शामिल हो मेरी खुदाई में !

जिंदगी छोटी हो या लम्बी
वो गुजरे तेरे प्यार की गहराई में !

कभी न रूठना मेरी जान
जान निकल जाएगी , तेरी बेवफाई में !

— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P

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