स्वारथ के हैं संगी-साथी
स्वारथ हित है मुन्ना पाला, स्वारथ की ही मुनिया है।
स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।
स्वारथ ही है मूल जगत का।
स्वारथ ही है पूल जगत का।
स्वारथ हित संबन्ध हैं बनते,
स्वारथ ही है भजन भगत का।
स्वारथ हित ही विद्वान यहाँ, स्वारथ हित ही गुनिया है।
स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।
स्वारथ हित संबन्ध की चाहत।
स्वारथ हित ही पद की चाहत।
स्वारथ हित ही मर-मिटे धन पर,
स्वारथ ही है यश की चाहत।
स्वारथ का ही नाम परमारथ, स्वारथ की ही धुनिया है।
स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।
स्वारथ से ही स्वारथ तुमको।
स्वारथ हित भाया ना हमको।
स्वारथ हित संबन्ध था जोड़ा,
स्वारथ हित फोड़ा है बम को।
स्वारथ का सम्मान यहाँ पर, स्वारथ हित ही चुनिया है।
स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।