इस दुनिया का नूर हैं हम
इस दुनिया का नूर हैं हम
बुल्ले, नानक, सूर हैं हम
जोड़ रहे युग को युग से
रीति प्रथा दस्तूर हैं हम
नेकी को मरहम जैसे
ज़ुल्मत को नासूर हैं हम
अदबी पूजा का चंदन
रोली और कपूर हैं हम
अपनेपन से यारी है
छल से कोसों दूर हैं हम
सच को सच ही बोलेंगे
आदत से मजबूर हैं हम
उसकी आँखें, क्या कहने
अब तक मद में चूर हैं हम
— सतीश बंसल