तकनीकी विषयों पर नवीन शैली में दोहे
- डिजिटल युग
डिजिटल युग अब दौड़ता, बदल-बदलकर चाल।
जो सीखे, वो बढ़ चले, चमके उसका भाल।।
- सोशल मीडिया
लाइकों की भीड़ में, खोया सबका ध्यान।
आभासी इस दौर में, ढूंढ रहे पहचान।।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और भविष्य
सोच रहा है यंत्र भी, सीख रहा हर भेद।
नित मानव के ज्ञान में, करकर के अब छेद।।
- साइबर सुरक्षा
पासवर्ड जो लीक हो, आए संकट घोर।
आभासी संसार में, काबू में रख डोर।।
- ऑनलाइन शिक्षा
पढ़े सभी अब नेट से, खुली नयी है राह।
पर गुरु जैसा ज्ञान दे, कहे कौन अब वाह।।
- मशीनों पर निर्भरता
यंत्र करेंगे काम सब, मनुज रहेगा मौन।
रुक जाएगी सोच गर, बुद्ध बनेगा कौन।।
- सोशल मीडिया और समय
मोबाइल की लत लगी, थककर बैठे मौन।
इतना भी ना देखते, पास खड़ा है कौन।।
- तकनीक और आलस्य
बटन दबे, हो काम सब, सुविधा मिले अपार।
परिश्रम घटता जो गया, जड़ता दे उपहार।।
ये दोहे आधुनिक तकनीक के फायदे और नुकसान दोनों को दर्शाते हैं।
— डॉ. सत्यवान सौरभ